अदालत के आदेश पर चला बुलडोजर: मद्रासी कैंप में 300 से अधिक झुग्गियां ध्वस्त


के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा  2025-06-02 12:59:09



 

दिल्ली की विकास यात्रा में अक्सर एक कड़वी सच्चाई भी सामने आती है - विस्थापन का दर्द। दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के मद्रासी कैंप, जंगपुरा में इन दिनों यही सच्चाई बुलडोजर के पहियों तले रौंदी जा रही है। अदालत के सख्त आदेशों के बाद, सार्वजनिक भूमि पर बने 300 से अधिक झुग्गियों को हटाने का अभियान शुरू हो गया है, जिसने हजारों परिवारों को बेघर होने के कगार पर ला खड़ा किया है। भारी संख्या में अर्धसैनिक बल और दिल्ली पुलिस की मौजूदगी के बीच, बुलडोजर लगातार सक्रिय हैं, और इन झुग्गियों में रहने वाले लोगों का भविष्य अब अधर में है। यह केवल एक अतिक्रमण हटाओ अभियान नहीं, बल्कि कई पीढ़ियों से बसे हुए लोगों के सपनों और आशियानों के उजड़ने की कहानी है।

अदालत का आदेश और अतिक्रमण हटाने का अभियान:

दिल्ली हाईकोर्ट ने मद्रासी कैंप में सार्वजनिक भूमि पर हुए अतिक्रमण को हटाने का आदेश दिया है। इस आदेश के पीछे मुख्य कारण बारापुला नाले के आसपास बने अवैध निर्माणों को बताया गया है, जो नाले की सफाई में बाधा डाल रहे थे और मानसून में गंभीर जलभराव की स्थिति पैदा करते थे। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सार्वजनिक भूमि पर कब्जा हटाना जरूरी है और पुनर्वास के निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए, लेकिन अतिक्रमण चलने नहीं दिया जा सकता। इसी के तहत, 1 जून 2025 से इस अभियान की शुरुआत हुई है, जिसका उद्देश्य क्षेत्र से लगभग 300 से अधिक झुग्गियों को हटाना है।

सुरक्षा व्यवस्था और स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया:

इस बड़े पैमाने के अभियान के लिए क्षेत्र में भारी संख्या में अर्धसैनिक बलों और दिल्ली पुलिस की तैनाती की गई है, ताकि किसी भी अप्रिय घटना या विरोध को रोका जा सके। बुलडोजर लगातार काम कर रहे हैं और झुग्गियों को ध्वस्त किया जा रहा है। हालांकि, स्थानीय लोगों में डर और असमंजस का माहौल है। कई निवासी दशकों से इन झुग्गियों में रह रहे हैं, और उनका कहना है कि उन्होंने यहीं जन्म लिया और अपने जीवन का अधिकांश हिस्सा बिताया है। वे अचानक बेघर होने से आशंकित हैं और अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। कुछ लोगों ने यह भी बताया है कि उन्हें शिव मंदिर को भी तोड़ने का नोटिस दिया गया है, जिससे उनकी धार्मिक भावनाओं को भी ठेस पहुंची है।

पुनर्वास की चुनौती और सरकारी योजनाएं:

दिल्ली सरकार की "जहां झुग्गी वहीं मकान" योजना के तहत मद्रासी कैंप के निवासियों को नरेला में वैकल्पिक आवास देने का प्रस्ताव है। सर्वे के बाद, लगभग 370 झुग्गियों की पहचान की गई थी, जिनमें से 189 निवासियों को 2015 की जे.जे. नीति के तहत पुनर्वास के लिए पात्र पाया गया है। हालांकि, कई पात्र निवासियों ने अभी तक अपने फ्लैट आवंटन पत्र नहीं लिए हैं। लोगों का कहना है कि नरेला बहुत दूर है और वहाँ रहना मुश्किल होगा, क्योंकि उनके बच्चों के स्कूल और उनके रोजगार के साधन यहीं आसपास हैं। वे चाहते हैं कि उन्हें दिल्ली में 10 से 15 किलोमीटर के अंदर ही बसाया जाए। इसके अतिरिक्त, आवंटित किए गए फ्लैटों की स्थिति और बुनियादी सुविधाओं की कमी को लेकर भी चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं।

आगे की राह:

यह अभियान दिल्ली में अतिक्रमण और विस्थापन के जटिल मुद्दे को एक बार फिर उजागर करता है। जहां एक ओर अदालत के आदेशों का पालन और सार्वजनिक स्थानों को अतिक्रमण मुक्त करना आवश्यक है, वहीं दूसरी ओर हजारों बेघर होने वाले परिवारों के मानवीय पहलू पर भी ध्यान देना उतना ही महत्वपूर्ण है। प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह सुनिश्चित करना है कि विस्थापित हुए लोगों का उचित पुनर्वास हो और उन्हें एक सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर मिले, ताकि यह अभियान केवल ध्वस्तीकरण की कहानी बनकर न रह जाए, बल्कि मानवीय संवेदनाओं के साथ विकास की मिसाल भी बने।


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