सुरक्षा का जाल टूटा: बोर्डिंग स्कूल में यौन शोषण का पर्दाफाश, बिना मान्यता चल रहे संस्थान पर लगा ताला


के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा  2025-06-02 08:55:12



 

शिक्षा और सुरक्षा का पर्याय माने जाने वाले बोर्डिंग स्कूल जब स्वयं ही बच्चों के लिए असुरक्षित और अवैध ठिकानों में बदल जाएँ तो यह समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी है। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से एक ऐसा ही चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ एक अमान्य बोर्डिंग स्कूल में दो सगे भाइयों के साथ यौन उत्पीड़न का खुलासा हुआ है। यह घटना केवल एक अपराध नहीं, बल्कि उन अनगिनत अनदेखी और लापरवाहियों का परिणाम है जो हमारे बच्चों के भविष्य को अंधकार में धकेल सकती हैं। आइए, इस सनसनीखेज मामले की परतें खोलते हैं, जहाँ मासूमों की सुरक्षा से खिलवाड़ किया गया।

देहरादून के अमान्य बोर्डिंग स्कूल में यौन शोषण का खुलासा

देहरादून के एक बोर्डिंग स्कूल में दो सगे भाइयों के यौन शोषण की चल रही जाँच में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि इस स्कूल को कोई मान्यता प्राप्त नहीं है। महिला आयोग की अध्यक्ष गीता खन्ना ने बताया कि यह प्री-प्रिपरेटरी स्कूल दिल्ली में पंजीकृत एक ट्रस्ट द्वारा चलाया जा रहा था। उन्होंने कहा कि यह स्कूल केवल प्री-प्रिपरेटरी स्तर तक ही सीमित था, इसलिए इसके संचालन के लिए संबंधित अधिकारियों से कोई शैक्षणिक मान्यता नहीं ली गई थी। यह गंभीर अनियमितता इस बात को उजागर करती है कि कैसे बिना किसी वैधानिक अनुमति के ऐसे संस्थान बच्चों के भविष्य और सुरक्षा से खिलवाड़ कर रहे थे।

मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों का अवैध हॉस्टल और दयनीय स्थिति

शिकायत मिलने पर, आयोग की अध्यक्ष ने एक टीम के साथ स्कूल और उसके छात्रावास का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्हें यह भी पता चला कि उक्त प्री-प्रिपरेटरी स्कूल का निदेशक पास की एक किराए की इमारत की पहली मंजिल पर मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों के लिए भी एक अवैध छात्रावास चला रहा था। निरीक्षण के दौरान, यह भी पाया गया कि छात्रावास बहुत ही जर्जर हालत में था। वहाँ न तो किसी प्रकार के सुरक्षा मानकों का पालन किया जा रहा था और न ही कोई वैधानिक अनुमति ली गई थी। यह छात्रावास कथित तौर पर अवैध रूप से चलाया जा रहा था, जो कि मानवीय संवेदनशीलता और नियमों का घोर उल्लंघन है।

उत्पीड़न का मामला और पुलिस कार्रवाई

यह उत्पीड़न का मामला तब सामने आया जब एक अकेली माँ, जिसने सुरक्षित और संवेदनशील देखभाल की उम्मीद में अपने दो मानसिक रूप से दिव्यांग बेटों को इस छात्रावास में छोड़ा था, उनसे मिलने गई। दोनों भाइयों ने अपनी माँ को बताया कि छात्रावास में रात की ड्यूटी पर तैनात एक अटेंडेंट ने उनका यौन उत्पीड़न किया। इस गंभीर आरोप के बाद, संबंधित माँ ने तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए आरोपी को हिरासत में ले लिया। आरोपी बनारस का रहने वाला है और वह 16 मई से इस छात्रावास में काम कर रहा था। बताया जा रहा है कि उसका पुलिस सत्यापन भी नहीं किया गया था, जो सुरक्षा प्रोटोकॉल की गंभीर अनदेखी है।

स्कूल बंद और आगे की जांच

फिलहाल, प्री-प्रिपरेटरी स्कूल को बंद कर दिया गया है। सोमवार को बाल कल्याण समिति (CWC) स्कूल में पढ़ रहे अन्य 15 बच्चों से बात करेगी। CWC और संबंधित विभागों की निगरानी में इस पूरे मामले की गहनता से जाँच चल रही है। कई एजेंसियां इस मामले की तह तक जाने और इसमें शामिल सभी दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए काम कर रही हैं। यह घटना देश भर के ऐसे अवैध और बिना मान्यता वाले संस्थानों पर कड़ी कार्रवाई करने की आवश्यकता पर बल देती है, जो बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा के नाम पर उनके साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। समाज और प्रशासन को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे बच्चे सुरक्षित वातावरण में शिक्षा प्राप्त कर सकें।


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