करोड़ की ठगी का अनोखा मामला: नौकरी के बदले गँवाए पैसे, अब शिकायतकर्ता ही संदेह के घेरे में
के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा 2025-05-30 08:09:15

क्या आपने कभी सोचा है कि नौकरी पाने की चाहत में आप इतना आगे निकल जाएं कि करोड़ों रुपये गंवा बैठें और अंत में खुद ही पुलिस के निशाने पर आ जाएं? बेंगलुरु से एक ऐसा ही चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में नौकरी दिलाने के नाम पर एक व्यक्ति से कथित तौर पर एक करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की गई। लेकिन कहानी में एक ऐसा मोड़ आया है, जिसने इस पूरे प्रकरण को और भी पेचीदा बना दिया है। कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस मामले में न केवल ठगी के आरोपों की जाँच का निर्देश दिया है, बल्कि ठगी का शिकार हुए व्यक्ति पर भी मामला दर्ज करने का आदेश दिया है। यह अपने आप में एक अभूतपूर्व स्थिति है, जो इस पूरे लेन-देन की "असामान्य प्रकृति" पर सवाल उठाती है।
ठगी की कहानी: इसरो में नौकरी का लालच
यह मामला बेंगलुरु से जुड़ा है, जहाँ एक व्यक्ति ने दावा किया कि एक महिला और उसके कथित साथियों ने उसे ISRO में नौकरी दिलाने का झांसा देकर एक करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) भारत का गौरव है और इसमें नौकरी पाना लाखों युवाओं का सपना होता है। इसी सपने का फायदा उठाकर कथित ठगों ने इस व्यक्ति को अपने जाल में फँसाया। शुरुआती जानकारी के अनुसार, पीड़ित ने इन ठगों पर भरोसा करके अपनी गाढ़ी कमाई का एक बड़ा हिस्सा उन्हें सौंप दिया, इस उम्मीद में कि उसे देश के सबसे प्रतिष्ठित वैज्ञानिक संस्थानों में से एक में काम करने का अवसर मिलेगा।
कर्नाटक हाई कोर्ट का हस्तक्षेप: एक अप्रत्याशित मोड़
मामले में तब एक नया मोड़ आया, जब कथित आरोपी, विनूथा एम ई. ने कर्नाटक हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सूरज गोविंदराज की अध्यक्षता वाली अवकाश पीठ ने जो निर्देश दिए, वे सामान्य से हटकर थे। अदालत ने न केवल आरोपी के खिलाफ मामले की सुनवाई जारी रखने का निर्देश दिया, बल्कि शिकायतकर्ता पर भी मामला दर्ज करने का आदेश दिया। अदालत ने इस लेन-देन की "असामान्य प्रकृति" पर विशेष जोर दिया। यह अपने आप में एक बड़ा संकेत है कि अदालत को इस पूरे वित्तीय लेन-देन में कुछ ऐसा असामान्य लगा, जो केवल ठगी का मामला नहीं हो सकता।
"असामान्य प्रकृति" का रहस्य: क्या शिकायतकर्ता भी शामिल था?
हाई कोर्ट द्वारा "असामान्य प्रकृति" शब्द का उपयोग इस बात की ओर इशारा करता है कि अदालत को संदेह है कि इस पूरे मामले में केवल शिकायतकर्ता ही पीड़ित नहीं था, बल्कि वह भी किसी न किसी रूप में इस लेन-देन में शामिल हो सकता है, या शायद उसे भी लेन-देन की कुछ बारीकियाँ पता थीं, जिन्हें उसने उजागर नहीं किया। यह संभावना जताई जा रही है कि इतनी बड़ी रकम का लेन-देन बिना किसी पुख्ता सबूत या लिखित समझौते के कैसे हुआ, और क्या शिकायतकर्ता ने अपनी ओर से भी कोई अनुचित कार्य किया था। यह पहलू इस पूरे मामले को और भी जटिल बनाता है और पुलिस जाँच के लिए एक नई दिशा प्रदान करता है।
आगामी जाँच और निहितार्थ:
बेंगलुरु पुलिस को अब इस मामले की गहराई से जाँच करनी होगी। उन्हें न केवल महिला और उसके कथित साथियों द्वारा की गई ठगी के आरोपों की सत्यता का पता लगाना होगा, बल्कि शिकायतकर्ता की भूमिका और "असामान्य प्रकृति" वाले लेन-देन के पीछे के रहस्यों को भी उजागर करना होगा। यह मामला उन लोगों के लिए एक चेतावनी है जो नौकरी के लालच में बड़ी रकम का लेन-देन करते हैं। साथ ही, यह न्यायिक प्रक्रिया की बारीकियों को भी दर्शाता है, जहाँ अदालतें न केवल आरोपों को देखती हैं, बल्कि पूरे संदर्भ और लेन-देन की प्रकृति की भी पड़ताल करती हैं। इस मामले में आगे क्या होगा, यह देखना दिलचस्प होगा, क्योंकि इसमें ठगी करने वाले और ठगी का शिकार होने वाले, दोनों ही पुलिस की जाँच के दायरे में आ गए हैं।