रात के अंधेरे में तबाही: सोते हुए लोगों पर मौत बनकर बरसी आग, गाजा में हाहाकार


के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा  2025-05-27 20:03:10



 

कल्पना कीजिए कि आप अपने परिवार के साथ एक सुरक्षित जगह पर, एक स्कूल में शरण लिए हुए हैं, यह सोचकर कि यह कम से कम सुरक्षित है। और फिर, रात के अंधेरे में, अचानक एक भीषण धमाका आपके सपनों को चीरता हुआ आता है, और आप आग और मलबे के बीच खुद को पाते हैं। सोमवार को गाजा पट्टी में ठीक ऐसा ही हुआ, जब इजरायली हमलों में कम से कम 52 लोग मारे गए, जिनमें से 36 लोग एक स्कूल में सो रहे थे, जो अब शरणार्थियों का ठिकाना बन चुका था। यह सिर्फ एक हमला नहीं, बल्कि युद्ध की भयावहता का एक क्रूर प्रमाण है, जिसने मानवीयता को एक बार फिर गहरे संकट में डाल दिया है।

स्कूल पर हमला: 36 बेगुनाहों की नींद में मौत, जलता हुआ सामान

गाजा में स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, सोमवार को इजरायली हमलों में कम से कम 52 लोगों की मौत हो गई। इनमें से 36 लोग उस स्कूल में मारे गए, जिसे अब शरणार्थी आश्रय स्थल के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा था। जब हमला हुआ, तब लोग सो रहे थे, और उनके सामान भी आग की चपेट में आ गए। ऑनलाइन उपलब्ध फुटेज में बचावकर्मियों को जले हुए शवों को निकालते और आग बुझाने के लिए संघर्ष करते देखा जा सकता है। शिफा अस्पताल ने बताया कि सोमवार को एक मकान पर हुए हमले में एक ही परिवार के 15 लोग मारे गए, जिनमें पांच महिलाएं और दो बच्चे शामिल थे। इजरायली सेना ने कहा कि उसने स्कूल से अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे आतंकवादियों को निशाना बनाया था, लेकिन इस हमले ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंताएं बढ़ा दी हैं, खासकर जब लक्षित स्थान एक शरणार्थी आश्रय स्थल था।

युद्धविराम की समाप्ति और इजरायल का संकल्प: हमास का खात्मा या बंधकों की वापसी?

इजरायल ने मार्च में हमास के साथ युद्धविराम समाप्त होने के बाद गाजा में अपना सैन्य अभियान फिर से तेज कर दिया था। 7 अक्टूबर, 2023 के हमले के बाद, जिसने इस युद्ध को जन्म दिया, इजरायल ने गाजा पर नियंत्रण हासिल करने और हमास को पूरी तरह से नष्ट या निरस्त्र करने की कसम खाई है। इजरायल का कहना है कि वह तब तक लड़ना जारी रखेगा जब तक 7 अक्टूबर के हमले से बचे हुए 58 बंधकों को वापस नहीं लौटाया जाता, जिनमें से एक तिहाई के जीवित होने की संभावना है। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इजरायल की सैन्य कार्रवाई में अब तक 52,000 से अधिक लोग मारे गए हैं और घायलों की संख्या एक लाख के पार है, जो संघर्ष की भीषणता को दर्शाती है। इजरायल का कहना है कि वह नागरिकों को नुकसान पहुंचाने से बचने की कोशिश करता है और हमास को उनकी मौतों के लिए दोषी ठहराता है क्योंकि वह घनी आबादी वाले इलाकों में काम करता है।

मानवीय सहायता का संकट: अकाल की चेतावनी और अपर्याप्त मदद

गाजा में मानवीय स्थिति अत्यंत चिंताजनक बनी हुई है। ढाई महीने तक सभी खाद्य पदार्थ, दवाएं, ईंधन या अन्य सामानों को गाजा में प्रवेश करने से रोकने के बाद, इजरायल ने पिछले सप्ताह मानवीय सहायता की एक बहुत कम मात्रा को प्रवेश करने की अनुमति दी। सहायता समूहों ने गाजा में अकाल की चेतावनी दी है और उनका कहना है कि जो सहायता आई है, वह बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए कहीं से भी पर्याप्त नहीं है। संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि यदि गाजा में 48 घंटों के भीतर मानवीय सहायता नहीं पहुंचाई जाती, तो 14,000 बच्चों की जान जा सकती है। मार्च 2025 से इजरायल की ओर से जारी पूरी नाकेबंदी ने गाजा को भुखमरी और कुपोषण की आग में झोंक दिया है।

नई सहायता प्रणाली पर विवाद: अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र के बीच मतभेद

इजरायल और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा समर्थित एक नई सहायता प्रणाली सोमवार से ही परिचालन शुरू करने वाली है, भले ही इस प्रयास का नेतृत्व कर रहे अमेरिकी अधिकारी ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा था कि यह प्रणाली स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर पाएगी। संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और सहायता समूहों ने इस नई प्रणाली को खारिज कर दिया है, उनका तर्क है कि यह गाजा में सहायता के प्रभावी और निष्पक्ष वितरण को सुनिश्चित नहीं कर पाएगी। प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने घोषणा की है कि देश गाजा में नई सहायता प्रणाली लागू करने से कुछ ही दिन दूर है, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़ी आलोचना मिल रही है। इजरायल का कहना है कि यह प्रणाली आवश्यक है क्योंकि हमास सहायता की महत्वपूर्ण मात्रा को हड़प लेता है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र इस दावे का खंडन करता है। यह विवाद गाजा में मानवीय सहायता पहुंचाने की जटिलताओं और राजनीतिकरण को उजागर करता है, जहां हर कदम पर मानवीय जरूरतों और सैन्य उद्देश्यों के बीच तनाव बना हुआ है।


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