पाकिस्तान के लिए जासूसी: CRPF का जवान निकला गद्दार, NIA ने दबोचा, देश की सुरक्षा पर बड़ा खतरा
के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा 2025-05-27 17:20:12

सोमवार को एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने एक सीआरपीएफ (CRPF) जवान को पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। यह घटना न केवल सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है, बल्कि देश की आंतरिक सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। यह मामला एक ऐसे गद्दार को बेनकाब करता है, जिसने अपनी वर्दी की आड़ में देश के साथ विश्वासघात किया।
विश्वासघात का पर्दाफाश: 2023 से ISI के लिए जासूसी
गिरफ्तार किए गए आरोपी की पहचान सीआरपीएफ के असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर (ASI) मोती राम जाट के रूप में हुई है। अधिकारियों ने बताया कि मोती राम जाट 2023 से सक्रिय रूप से जासूसी गतिविधियों में शामिल था। वह राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित गोपनीय जानकारी पाकिस्तान खुफिया अधिकारियों (PIOs) के साथ साझा कर रहा था। यह आरोप बेहद गंभीर हैं, क्योंकि एक वर्दीधारी अधिकारी का दुश्मन देश को संवेदनशील जानकारी देना देश की सुरक्षा के लिए सीधा खतरा है। जाट की यह हरकत न केवल उसकी व्यक्तिगत निष्ठा पर सवाल उठाती है, बल्कि उन हजारों जवानों के बलिदान का भी अपमान करती है जो देश की सेवा में अपने प्राण न्योछावर करते हैं। एनआईए अब उससे गहन पूछताछ कर रही है ताकि उसके नेटवर्क और इस जासूसी के पूरे दायरे का पता लगाया जा सके।
वित्तीय लेनदेन का खुलासा: हवाला के जरिए फंडिंग
जांच एजेंसियों के अनुसार, मोती राम जाट पाकिस्तान खुफिया अधिकारियों (PIOs) से विभिन्न माध्यमों से धन प्राप्त कर रहा था। यह दर्शाता है कि यह जासूसी की गतिविधि एक सुनियोजित तरीके से चल रही थी, जिसमें वित्तीय लेनदेन भी शामिल थे। अधिकारियों ने बताया कि फंड "विभिन्न माध्यमों" से जाट तक पहुँच रहे थे, जो आमतौर पर हवाला या अन्य गुप्त चैनलों का उपयोग करके किए जाते हैं। इस फंडिंग के स्रोत और उद्देश्य का पता लगाना जांच एजेंसियों के लिए एक महत्वपूर्ण पहलू होगा, क्योंकि इससे पूरे नेटवर्क का खुलासा हो सकता है। यह दर्शाता है कि कैसे दुश्मन एजेंसियां अपने एजेंटों को धन मुहैया कराकर उन्हें देश के खिलाफ काम करने के लिए प्रेरित करती हैं।
सोशल मीडिया पर निगरानी और त्वरित बर्खास्तगी
मोती राम जाट पर पहली बार सीआरपीएफ की नजर तब पड़ी, जब केंद्रीय एजेंसियों के समन्वय में उनकी सोशल मीडिया गतिविधियों की कड़ी निगरानी की जा रही थी। इस निगरानी के दौरान पाया गया कि उन्होंने "स्थापित मानदंडों और प्रोटोमोती राम जाट पर पहली बार सीआरपीएफ की नजर तब पड़ी, जब केंद्रीय एजेंसियों के समन्वय में उनकी सोशल मीडिया गतिविधियों की कड़ी निगरानी की जा रही थी। इस निगरानी के दौरान पाया गया कि उन्होंने "स्थापित मानदंडों और प्रोटोकॉल का उल्लंघन" किया था, जिसके बाद सीआरपीएफ ने तुरंत कार्रवाई की। सीआरपीएफ द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, जाट को आगे की जांच के लिए एनआईए को सौंप दिया गया था। इसके साथ ही, सीआरपीएफ ने त्वरित और कठोर कदम उठाते हुए 21 मई, 2025 से ही जाट को सेवा से बर्खास्त कर दिया है। यह कार्रवाई भारतीय संविधान के प्रासंगिक प्रावधानों और सीआरपीएफ नियमों के तहत की गई है, जो दर्शाता है कि सुरक्षा बल अपनी आंतरिक शुचिता और अखंडता को बनाए रखने के लिए किसी भी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं करेंगे।
न्यायिक हिरासत और विस्तृत जांच: क्या और भी होंगे खुलासे?
दिल्ली में एनआईए द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद, मोती राम जाट को एक विशेष अदालत में पेश किया गया, जिसने उसे 6 जून तक एनआईए हिरासत में भेज दिया है। जांच एजेंसी अब जाट से उन सभी गोपनीय सूचनाओं के बारे में पूछताछ करेगी जो उसने पाकिस्तान को दी थीं। इसके अलावा, उसके नेटवर्क, पाकिस्तान में उसके हैंडलर, और इसमें शामिल किसी भी अन्य व्यक्ति या संगठन के बारे में जानकारी हासिल करने का प्रयास किया जाएगा। इस गिरफ्तारी ने सुरक्षा प्रतिष्ठानों में घुसपैठ के प्रयासों पर गंभीर चिंताएं बढ़ा दी हैं और केंद्रीय एजेंसियों के लिए अपनी निगरानी और प्रतिवाद क्षमताओं को और मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया है। यह मामला देश की सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती है, और उम्मीद है कि एनआईए की जांच से और भी कई खुलासे होंगे।