लातेहार की धरती पर गरजे खाकी के सिपाही, नक्सलवाद का किला ढहा
2025-05-27 09:31:01

झारखंड के लातेहार में पुलिस ने एक बेहद सफल खुफिया-आधारित ऑपरेशन को अंजाम दिया, जिससे नक्सलवाद की कमर टूट गई। यह सिर्फ एक मुठभेड़ नहीं, बल्कि नक्सल विरोधी अभियानों में एक मील का पत्थर है, जिसने राज्य के लिए एक सुरक्षित भविष्य की उम्मीद जगाई है।
लातेहार पुलिस का सराहनीय कार्य: 15 लाख के इनामी नक्सली ढेर और गिरफ्तार
पलामू जोन के आईजी सुनील भास्कर ने इस सफलता पर लातेहार पुलिस की जमकर सराहना की है। उन्होंने कहा, "मुख्यालय में हर वरिष्ठ अधिकारी के मार्गदर्शन में, लातेहार पुलिस ने कल (सोमवार) एक अच्छा काम किया।" पुलिस और नक्सलियों के बीच हुई इस मुठभेड़ में, 5 लाख रुपये के इनामी नक्सली सब-ज़ोनल कमांडर मनीष यादव को मार गिराया गया है। इसके साथ ही, 10 लाख रुपये के इनामी नक्सली ज़ोनल कमांडर कुंदन सिंह खेरवार को गिरफ्तार कर लिया गया है। यह नक्सल विरोधी अभियान में एक बड़ी सफलता मानी जा रही है, क्योंकि ये दोनों नक्सली लंबे समय से क्षेत्र में सक्रिय थे और पुलिस के लिए सिरदर्द बने हुए थे। यह स्पष्ट करता है कि पुलिस और सुरक्षा बल राज्य में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।
खुफिया-आधारित ऑपरेशन: सटीक रणनीति का परिणाम
आईजी सुनील भास्कर ने बताया कि यह ऑपरेशन पूरी तरह से खुफिया जानकारी पर आधारित था। उन्होंने कहा, "हमें कल इनपुट मिला था। यह एक खुफिया-आधारित ऑपरेशन था।" यह दर्शाता है कि पुलिस ने इस कार्रवाई को अंजाम देने से पहले ठोस तैयारी की थी और सटीक जानकारी का इस्तेमाल किया था। खुफिया तंत्र की मजबूती और पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने इस अभियान को सफल बनाया, जिससे नक्सलियों को संभलने का मौका नहीं मिला। ऐसे ऑपरेशन न केवल अपराधियों को खत्म करते हैं, बल्कि स्थानीय लोगों में सुरक्षा बलों के प्रति विश्वास भी बढ़ाते हैं। यह सफलता झारखंड में नक्सल विरोधी अभियानों के लिए एक नया मॉडल स्थापित करती है।
नक्सलियों का आपराधिक इतिहास: 12 साल से सक्रिय, दर्जनों मामले
पलामू के डीआईजी वाईएस रमेश ने मारे गए मनीष यादव और गिरफ्तार कुंदन सिंह खेरवार के आपराधिक इतिहास का खुलासा किया। डीआईजी रमेश के अनुसार, "मनीष यादव और कुंदन सिंह खेरवार पिछले 12 सालों से सक्रिय थे।" उन्होंने बताया कि मनीष के खिलाफ 40 मामले दर्ज थे, जबकि कुंदन के खिलाफ 27 मामले दर्ज किए गए थे। इन मामलों में गढ़वा, छत्तीसगढ़ और लातेहार जैसे विभिन्न क्षेत्रों में संगीन अपराध शामिल थे। डीआईजी ने यह भी जोड़ा कि "कुछ महत्वपूर्ण मामले ऐसे थे जिनमें दोनों शामिल थे," जो उनकी आपराधिक गतिविधियों की गंभीरता को दर्शाता है। इन दोनों का खात्मा और गिरफ्तारी क्षेत्र में नक्सली गतिविधियों को काफी हद तक कमजोर कर देगी।
मुख्यधारा में लौटने की अपील: शांति और विकास की ओर एक कदम
इस सफल अभियान के बाद, आईजी सुनील भास्कर ने एक महत्वपूर्ण अपील की। उन्होंने नक्सलवाद से जुड़े सभी लोगों से मुख्यधारा में लौटने का आह्वान किया। यह अपील उन लोगों के लिए एक अवसर है जो हिंसा का रास्ता छोड़ कर एक सामान्य जीवन जीना चाहते हैं। सरकारें आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए विभिन्न पुनर्वास योजनाएं चला रही हैं, ताकि वे समाज में वापस लौट सकें और विकास की प्रक्रिया का हिस्सा बन सकें। यह कदम दर्शाता है कि पुलिस केवल दमन पर विश्वास नहीं करती, बल्कि शांति और सामंजस्य स्थापित करने के लिए संवाद और पुनर्वास के रास्ते भी खोलती है। यह ऑपरेशन झारखंड को नक्सलवाद मुक्त बनाने और राज्य के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।