यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा ISI की मोहरा, 12 TB डेटा से खुली पोल, अब 14 दिन की न्यायिक हिरासत में
के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा 2025-05-27 07:33:57

यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा को पाकिस्तान की कुख्यात आईएसआई (ISI) के लिए जासूसी करने के आरोप में न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। हिसार पुलिस ने उनके डिजिटल अकाउंट्स और डिवाइस से 12 टेराबाइट्स का ऐसा डेटा बरामद किया है, जिसने पाकिस्तान की नैरेटिव पुश रणनीति और भारत में फूट डालने की उसकी घिनौनी साजिशों का खुलासा किया है। यह घटना सिर्फ एक गिरफ्तारी नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा पर मंडराते एक गंभीर डिजिटल खतरे की चेतावनी है।
12 TB का डिजिटल खजाना: ISI कनेक्शन और नैरेटिव पुश अभियान का पर्दाफाश
हिसार पुलिस ने ज्योति मल्होत्रा के डिवाइस और डिजिटल अकाउंट्स से 12 टेराबाइट्स का विशाल डिजिटल फॉरेंसिक डेटा बरामद किया है, जिसने जांच एजेंसियों को हैरान कर दिया है। यह डेटा केवल चैट रिकॉर्ड्स और कॉल लॉग्स तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें वीडियो फुटेज, वित्तीय लेनदेन और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां भी शामिल हैं। यह विशाल डेटा ज्योति के पाकिस्तान से सीधे कनेक्शन और भारत के खिलाफ चलाए जा रहे एक सुनियोजित 'नैरेटिव पुश' अभियान को उजागर करता है। राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में ऐसे डिजिटल फॉरेंसिक डेटा को बेहद अहम माना जाता है, क्योंकि इसकी मदद से जांच एजेंसियां पूरे टाइमलाइन को समझ पाती हैं, नेटवर्क का पता लगा पाती हैं, और छिपे हुए लिंक को उजागर कर पाती हैं। ज्योति मल्होत्रा के मामले में यह डेटा भारत की सुरक्षा के लिए एक बड़े स्तर के खतरे को उजागर करता है, जहां सावधानीपूर्वक 'नैरेटिव पुश' के माध्यम से देश को अस्थिर करने की कोशिश की जा रही थी।
नैरेटिव पुश की खतरनाक रणनीति: ISI का भारत विरोधी एजेंडा
नैरेटिव पुश एक ऐसी गुप्त रणनीति है जिसमें मीडिया, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करके लोगों की राय को अपने हिसाब से आकार दिया जाता है। इसके तहत किसी खास एजेंडा को जनता के बीच फैलाया जाता है, अक्सर झूठी सूचनाओं और दुष्प्रचार के माध्यम से। पाकिस्तान की आईएसआई एजेंसी इसी रणनीति का इस्तेमाल कर भारत में फूट डालने, गलत सूचनाएं फैलाने और लोकतांत्रिक संस्थानों की छवि बिगाड़ने की कोशिश करती है। सूत्रों के अनुसार, ज्योति सीधे तौर पर आईएसआई से जुड़े चार पाकिस्तानी मूल के लोगों के संपर्क में थी। इन सभी पाकिस्तानी लोगों से ज्योति ने वन-टू-वन (one-to-one) बात की थी, ताकि किसी भी तरह का डिजिटल ट्रेस न छोड़ा जाए और उनकी गतिविधियों को गुप्त रखा जा सके। यह दिखाता है कि पाकिस्तान किस तरह डिजिटल माध्यमों का दुरुपयोग कर भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का प्रयास कर रहा है।
पाकिस्तान से VIP ट्रीटमेंट और संदिग्ध लोकप्रियता में उछाल
जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान ने ज्योति मल्होत्रा को "वीआईपी ट्रीटमेंट" दिया था। उन्हें पाकिस्तान में विशेष वीजा और सुरक्षा कवर प्रदान किया गया था, ऐसी सुरक्षा जो आमतौर पर वहां विदेशी पत्रकारों को भी नहीं मिलती। यह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि पाकिस्तान उन्हें एक एसेट(संपत्ति) के तौर पर इस्तेमाल कर रहा था, जिसका उद्देश्य भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देना था। ज्योति के पाकिस्तान दौरे के बाद अचानक से उनकी सोशल मीडिया पर लोकप्रियता में अप्रत्याशित उछाल देखा गया। जांचकर्ताओं का मानना है कि यह बढ़ोतरी स्वाभाविक नहीं थी, बल्कि यह सुनियोजित थी, जिसमें पाकिस्तान के एजेंडे और नैरेटिव को अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा दिया गया। यह दर्शाता है कि कैसे दुश्मन एजेंसियां प्रभावशाली व्यक्तियों का उपयोग कर एक देश के खिलाफ दुष्प्रचार का जाल बुनती हैं।
कानूनी शिकंजा और आगे की जांच: राष्ट्र विरोधी गतिविधियों पर लगाम
पुलिस का कहना है कि जो भी डिजिटल साक्ष्य मिले हैं, वे ज्योति मल्होत्रा को कानून के तहत सजा दिलाने के लिए पर्याप्त हैं। पुलिस के अनुसार, ज्योति की गतिविधियां आम पत्रकारिता की सीमा से कहीं आगे थीं और वे स्पष्ट रूप से राष्ट्र विरोधी चीजों में लिप्त दिख रही हैं। पुलिस को मिले डेटा में वित्तीय लेनदेन की भी महत्वपूर्ण जानकारियां हैं। अब यह पता लगाया जाएगा कि ज्योति को यह फंडिंग कहां से मिली और इसका वास्तविक उद्देश्य क्या था। जांच एजेंसी ने इस बात की पुष्टि की है कि ज्योति के पाकिस्तान के पहले दौरे से ही उन पर निगरानी रखी जा रही थी। यह भी जांच की जा रही है कि क्या उनका किसी प्रतिबंधित नेटवर्क या संस्थान से कोई संबंध है। यह मामला भारत की सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी सफलता है और डिजिटल जासूसी के बढ़ते खतरे के खिलाफ एक महत्वपूर्ण संदेश है।