कुड्डालोर में आध्यात्मिक प्रकाश: 159वीं वर्षगांठ पर अनैय्या अदुप्पु का उत्सव, सन्मार्ग ध्वज फहराया गया


के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा  2025-05-26 21:17:24



 

कुछ ज्योतियाँ सिर्फ प्रकाश नहीं देतीं, वे युगों-युगों तक आस्था और ज्ञान की मशाल जलाए रखती हैं। तमिलनाडु के कुड्डालोर जिले में स्थित वडलूर धर्मसलाई में संत वल्ललर द्वारा स्थापित 'अनैय्या अदुप्पु' (अनादि अग्नि चूल्हा) आज ऐसी ही एक शाश्वत ज्योति का 159वाँ वर्षगांठ मना रहा है। यह सिर्फ एक चूल्हा नहीं, बल्कि समरसता, दया और आध्यात्मिक सत्य का प्रतीक है, जहाँ आज भी इसकी लपटें मानवता के मार्ग को रोशन कर रही हैं। इस पावन अवसर पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा और 'सन्मार्ग' के संदेश को आत्मसात करने का एक अनुपम दृश्य देखने को मिला।

वल्ललर द्वारा स्थापित 'अनैय्या अदुप्पु' की 159वीं वर्षगांठ

तमिलनाडु के कुड्डालोर जिले के वडलूर धर्मसलाई में स्थित 'अनैय्या अदुप्पु' (अनादि अग्नि चूल्हा) आज अपनी 159वीं वर्षगांठ मना रहा है। यह 'अनैय्या अदुप्पु' (शाश्वत लौ चूल्हा) प्रसिद्ध संत और समाज सुधारक वल्ललर द्वारा स्थापित किया गया था। वल्ललर, जिन्हें रामलिंग स्वामीगल के नाम से भी जाना जाता है, ने 19वीं सदी में समरसता, करुणा और आध्यात्मिक विकास के सिद्धांतों का प्रचार किया था। यह चूल्हा उनके 'समरस शुद्ध सन्मार्ग' के दर्शन का प्रतीक है, जहाँ बिना किसी भेदभाव के सभी को भोजन परोसा जाता था। 159 वर्षों से यह चूल्हा लगातार जल रहा है, जो उनकी अमर शिक्षाओं का प्रतीक है।

सन्मार्ग ध्वजारोहण समारोह और प्रार्थनाएँ

इस पवित्र अवसर को मनाने के लिए, वडलूर धर्मसलाई में आज बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्रित हुए। उन्होंने एक विशेष 'सन्मार्ग ध्वजारोहण' समारोह में भाग लिया। यह ध्वज वल्ललर के 'समरस शुद्ध सन्मार्ग' के सिद्धांतों का प्रतिनिधित्व करता है, जो सभी धर्मों के बीच एकता, अहिंसा और प्रेम का संदेश देता है। ध्वजारोहण के बाद, उपस्थित भक्तों ने श्रद्धापूर्वक प्रार्थनाएँ कीं और संत वल्ललर के आदर्शों को याद किया। यह आयोजन केवल एक ऐतिहासिक तिथि का स्मरण नहीं, बल्कि वल्ललर की शिक्षाओं को वर्तमान समय में भी प्रासंगिक बनाए रखने का एक प्रयास है।

वल्ललर का दर्शन और 'अनैय्या अदुप्पु' का महत्व

संत वल्ललर ने 'अरुटपेरुम ज्योति' (दिव्य विशाल प्रकाश) के दर्शन का प्रचार किया, जिसके अनुसार सभी जीवित प्राणियों के प्रति करुणा ही सर्वोच्च उपासना है। 'अनैय्या अदुप्पु' इसी दर्शन का एक मूर्त रूप है, जहाँ लगातार भोजन पकाया जाता था और भूखों को खिलाया जाता था। इसका उद्देश्य जाति, धर्म या पंथ के भेदभाव के बिना सभी को समान रूप से पोषण प्रदान करना था, जिससे मानवीय एकता और करुणा का संदेश प्रसारित हो सके। आज भी यह चूल्हा उसी भावना के साथ जल रहा है, जो वल्ललर के शाश्वत विचारों को दर्शाता है।

आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व

वडलूर धर्मसलाई और 'अनैय्या अदुप्पु' तमिलनाडु में एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक और सामाजिक केंद्र है। यह लाखों भक्तों के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो वल्ललर के 'जीवाकारुण्य' (जीवित प्राणियों के प्रति करुणा) के सिद्धांत में विश्वास करते हैं। 159वीं वर्षगांठ का यह उत्सव न केवल एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है, बल्कि यह वल्ललर के सार्वभौमिक संदेश को नई पीढ़ियों तक पहुंचाने का एक अवसर भी है। यह हमें याद दिलाता है कि करुणा, समानता और निःस्वार्थ सेवा आज भी समाज के लिए उतने ही प्रासंगिक हैं जितने कि वल्ललर के समय में थे।

कुड्डालोर के वडलूर धर्मसलाई में 'अनैय्या अदुप्पु' की 159वीं वर्षगांठ का उत्सव संत वल्ललर की कालातीत शिक्षाओं और उनके मानवतावादी दर्शन का एक शक्तिशाली प्रमाण है। यह अखंड ज्योति न केवल आध्यात्मिक प्रकाश बिखेर रही है, बल्कि यह हमें सभी प्राणियों के प्रति दया और समरसता के मार्ग पर चलने के लिए भी प्रेरित करती है। यह आयोजन एक अनुस्मारक है कि कैसे एक व्यक्ति की दूरदर्शिता पीढ़ियों तक समाज को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है और कैसे प्राचीन परंपराएं आज भी आधुनिक दुनिया में प्रासंगिक बनी रह सकती हैं।


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