कोल्हापुर में आसमानी आफत: बांधों ने पार किया स्तर, नदियों का बढ़ा बहाव, ऐतिहासिक धरोहर पानी में समाई


के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा  2025-05-26 20:50:44



 

प्रकृति जब अपनी प्रचंडता दिखाती है, तो उसके सामने सब कुछ बेबस हो जाता है। महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में मानसून-पूर्व की भारी बारिश ने ऐसा ही भयावह मंजर पैदा कर दिया है, जहाँ मूसलाधार वर्षा के कारण न केवल पाँच बांध जलमग्न हो गए हैं, बल्कि पंचगंगा नदी के बढ़ते जलस्तर ने एक प्राचीन मंदिर को भी अपनी आगोश में ले लिया है। यह घटना दर्शाती है कि कैसे कुछ घंटों की बारिश भी जनजीवन को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर सकती है और सदियों पुरानी धरोहरों को भी अपनी चपेट में ले सकती है।

कोल्हापुर में मानसून-पूर्व बारिश का कहर

महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में मानसून से पहले ही भारी बारिश ने कहर बरपाया है। मूसलाधार वर्षा के कारण जिले के विभिन्न हिस्सों में जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। यह बारिश इतनी तीव्र थी कि इसने कई दिनों तक लगातार हो रही वर्षा की तरह ही नदियों और जलाशयों के जलस्तर को तेजी से बढ़ा दिया है। मानसून की आधिकारिक शुरुआत से पहले ही ऐसी स्थिति चिंता का विषय बन गई है, क्योंकि यह आने वाले दिनों में और भी गंभीर बाढ़ के संकेत दे रही है।

पाँच बांध हुए लबालब, प्राचीन मंदिर जलमग्न

कोल्हापुर जिले में हुई इस भारी बारिश के कारण पाँच प्रमुख बांध पूरी तरह से लबालब हो गए हैं, जिससे अतिरिक्त पानी को नदियों में छोड़ना पड़ा है। राधानगरी जैसे बड़े जलाशयों का जलस्तर 96% तक भर गया है और उनके स्वचालित गेट भी खुल गए हैं, जिससे भोगावती नदी में पानी का बहाव तेजी से बढ़ रहा है। इसी के चलते पंचगंगा नदी का जलस्तर भी खतरे के निशान को पार कर गया है। पंचगंगा नदी के उफान पर आने से नदी के किनारे स्थित एक प्राचीन मंदिर पूरी तरह से जलमग्न हो गया है। कई रिपोर्ट्स में बताया गया है कि यह सैकड़ों साल पुराना महादेव मंदिर परिसर है, जिसके गेट पर तकरीबन 10 से 12 फीट तक पानी भर गया है और इसकी सीढ़ियां भी डूब चुकी हैं।

सड़कों पर आया पानी, यातायात बाधित

नदियों का जलस्तर बढ़ने के कारण पानी अब सड़कों पर आ चुका है, जिससे कोल्हापुर शहर और आसपास के कई निचले इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है। कई प्रमुख सड़कें पानी में डूब गई हैं, जिससे यातायात पूरी तरह से ठप हो गया है। राधानगरी, काळम्मावाडी और वारणा जैसे बांधों से पानी छोड़े जाने के कारण सभी नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे बाढ़ का खतरा और गहरा गया है। रत्नागिरी-कोल्हापुर राष्ट्रीय राजमार्ग भी यातायात के लिए बंद कर दिया गया है। लोगों को आवागमन में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, और कई गांवों का संपर्क टूट गया है।

प्रशासन अलर्ट पर, निकासी के निर्देश

कोल्हापुर जिला प्रशासन इस गंभीर स्थिति को देखते हुए पूरी तरह से अलर्ट मोड पर है। जिला आपदा प्रबंधन दल के प्रमुख प्रसाद संकपाल ने बताया कि बाढ़ की आशंका वाले इलाकों के निवासियों को सतर्क कर दिया गया है और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर निकालने की तैयारी की जा रही है। एनडीआरएफ (NDRF) और केडीआरएफ (KDRF) की टीमें बाढ़ प्रभावित गांवों का दौरा कर रही हैं और ग्रामीणों से स्थिति गंभीर होने से पहले ही निकासी करने की अपील कर रही हैं। शहर के निचले इलाकों, जैसे सुतारवाड़ा और तावड़े होटल क्षेत्र, से 102 लोगों को निकालकर सुरक्षित आश्रय स्थलों पर स्थानांतरित कर दिया गया है।

कोल्हापुर में मानसून-पूर्व की यह भारी बारिश एक गंभीर चेतावनी है कि हमें प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अपनी तैयारियों को मजबूत करना होगा। पाँच बांधों का जलमग्न होना और एक प्राचीन मंदिर का पंचगंगा नदी में डूबना इस बात का प्रमाण है कि जलवायु परिवर्तन और अत्यधिक मौसमी घटनाओं का प्रभाव कितना विनाशकारी हो सकता है। प्रशासन द्वारा उठाए गए कदम सराहनीय हैं, लेकिन दीर्घकालिक समाधानों की आवश्यकता है ताकि ऐसी घटनाओं में जान-माल का नुकसान कम किया जा सके और ऐतिहासिक धरोहरों को बचाया जा सके।


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