देवभूमि पर बादल का तांडव: थमा जनजीवन, फंसी सैकड़ों गाड़ियां


के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा  2025-05-23 07:10:56



 

देवभूमि उत्तराखंड, अपनी नैसर्गिक सुंदरता के साथ-साथ प्राकृतिक आपदाओं के लिए भी जानी जाती है। यहाँ की पहाड़ियाँ, नदियाँ और घने जंगल एक ओर मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करते हैं, तो वहीं दूसरी ओर मॉनसून के दौरान बादल फटने और भूस्खलन जैसी घटनाएँ अक्सर जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर देती हैं। हाल ही में उत्तरकाशी के बड़कोट क्षेत्र में खरादी गाँव के पास बादल फटने की एक ऐसी ही घटना सामने आई है, जिसने एक बार फिर इस क्षेत्र की संवेदनशीलता को उजागर किया है। यह रिपोर्ट इस घटना के प्रभावों और उससे उत्पन्न हुई स्थिति का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करती है।

खरादी में कुदरत का कहर

उत्तरकाशी जिले के बड़कोट इलाके में स्थित खरादी गाँव के पास अचानक बादल फटने से यमुना घाटी में हड़कंप मच गया। दोपहर के समय हुई इस घटना ने देखते ही देखते विकराल रूप धारण कर लिया। पहाड़ों से तेजी से नीचे आया मलबा और पानी अपने साथ सब कुछ बहा ले जाने को आमादा था। इस आकस्मिक बादल फटने के कारण क्षेत्र में दहशत का माहौल बन गया, क्योंकि प्रकृति का यह रौद्र रूप सामने आया।

यातायात ठप, सैकड़ों वाहन फंसे

बादल फटने का सबसे तात्कालिक और व्यापक असर यातायात पर पड़ा। मलबे और पानी के बहाव के कारण बड़कोट-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पूरी तरह से बाधित हो गया। सड़क के दोनों ओर सैकड़ों वाहन फंस गए, जिनमें यात्री, स्थानीय निवासी और चार धाम यात्रा पर आए तीर्थयात्री भी शामिल थे। वाहनों के पहिए थम जाने से यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। फंसे हुए लोगों को घंटों तक मार्ग खुलने का इंतजार करना पड़ा, जिससे उनकी यात्रा में अप्रत्याशित देरी हुई।

राहत की बात: कोई हताहत नहीं

हालांकि, इस भीषण प्राकृतिक आपदा के बावजूद राहत की खबर यह रही कि बादल फटने से किसी भी प्रकार की जानमाल का नुकसान नहीं हुआ। अधिकारियों ने बताया कि घटना में कोई भी हताहत नहीं हुआ है, और न ही किसी बड़े ढांचे को कोई गंभीर क्षति पहुंची है। यह निश्चित रूप से एक बड़ी राहत है, खासकर उत्तराखंड के संदर्भ में जहां बादल फटने की कई पिछली घटनाओं में जानमाल का भारी नुकसान हुआ है। स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन दल ने तत्परता दिखाते हुए स्थिति का जायजा लिया और बचाव कार्य शुरू किया।

भूस्खलन का खतरा और बचाव कार्य

बादल फटने से हुए मलबे के कारण भूस्खलन का खतरा बढ़ गया है। हालांकि, तत्काल कोई बड़ी भूस्खलन की घटना नहीं हुई, लेकिन सड़क पर जमा मलबा और बोल्डर हटाना एक बड़ी चुनौती है। प्रशासन ने तत्काल जेसीबी मशीनों को लगाकर सड़क से मलबा हटाने का काम शुरू कर दिया है ताकि यातायात को जल्द से जल्द बहाल किया जा सके। इस क्षेत्र में अक्सर ऐसे बादल फटने की घटनाएं होती रहती हैं, जो पहाड़ों के भूगर्भीय अस्थिरता और अत्यधिक वर्षा के कारण होती हैं। प्रशासन लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए है और लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है।

बहरहाल, उत्तरकाशी के बड़कोट के खरादी में बादल फटने की यह घटना एक बार फिर पहाड़ों में प्रकृति के अप्रत्याशित व्यवहार की याद दिलाती है। हालांकि, इस बार किसी बड़े नुकसान से बचाव एक बड़ी राहत है, लेकिन यह घटना भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है। पहाड़ी क्षेत्रों में बढ़ती आबादी और अनियोजित निर्माण के कारण ऐसी आपदाओं का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसे में, आपदा प्रबंधन योजनाओं को और मजबूत करना और स्थानीय निवासियों को जागरूक करना अत्यंत आवश्यक है ताकि भविष्य में ऐसी किसी भी स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके।


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