स्वास्थ्य का संकल्प, रक्तचाप पर विजय: पीबीएम अस्पताल का जीवनदायी जागरूकता अभियान
के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा 2025-05-22 07:37:48

एक अदृश्य शत्रु, जो दबे पांव आता है और अनगिनत जिंदगियों को अपनी गिरफ्त में ले लेता है - उच्च रक्तचाप। यह 'साइलेंट किलर' आज एक वैश्विक महामारी का रूप ले चुका है। इसी खतरे को भांपते हुए, बीकानेर के पीबीएम अस्पताल के हल्दीराम मूलचंद कार्डियोवस्कुलर साइंस एवं रिसर्च सेंटर ने विश्व रक्तचाप माह के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण जन जागरण कार्यक्रम का आयोजन किया। यह पहल न केवल लोगों को इस गंभीर स्वास्थ्य समस्या के प्रति जागरूक करने का एक प्रयास है, बल्कि इसके नियंत्रण और बचाव के उपायों से भी अवगत कराती है। आइए, इस महत्वपूर्ण अभियान के हर पहलू पर गहराई से नज़र डालते हैं।
उच्च रक्तचाप: एक गंभीर खतरा:
कार्यक्रम के संयोजक और विभागाध्यक्ष डॉ पिंटू नाहटा ने उच्च रक्तचाप की भयावहता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वर्तमान में भारत की लगभग 30 से 35 प्रतिशत आबादी इस 'साइलेंट किलर' से पीड़ित है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उच्च रक्तचाप का प्रभाव केवल हृदय तक ही सीमित नहीं रहता, बल्कि यह पूरे मानव शरीर पर नकारात्मक असर डालता है। डॉ. नाहटा ने बताया कि 60 प्रतिशत ब्रेन स्ट्रोक (ब्रेन हेमरेज), 35 प्रतिशत हृदयघात, 35 प्रतिशत रेटिनोपैथी (आंखों से धुंधला दिखना) के साथ-साथ न्यूरोपैथी, डिमेंशिया और बड़ी धमनियों का फटना (एओटिक डिसेक्शन) जैसे गंभीर रोगों का यह एक प्रमुख कारण बनता है।
महामारी पर नियंत्रण: त्रि-स्तरीय रणनीति:
इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए अस्पताल द्वारा तीन स्तरों पर एक व्यापक कार्य योजना तैयार की गई है:
प्रथम स्तर: व्यापक जांच शिविर: इस चरण के अंतर्गत, विभिन्न स्थानों पर स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए जाते हैं। इन शिविरों में प्रत्येक व्यक्ति का रक्तचाप मापा जाता है। माप के उपरांत, जिन व्यक्तियों में उच्च रक्तचाप (सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर ≥ 140 mmHg और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर ≥ 90 mmHg) पाया जाता है, उन्हें इसकी जानकारी दी जाती है और आगे की सावधानियों के बारे में बताया जाता है।
द्वितीय स्तर: जीवनशैली में परिवर्तन और खानपान संबंधी मार्गदर्शन: जिन व्यक्तियों में उच्च रक्तचाप का स्तर अधिक पाया जाता है, उन्हें उनके खानपान और जीवनशैली में आवश्यक बदलाव लाने के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाती है। इसके तहत, उन्हें प्रतिदिन अपने भोजन में नमक की मात्रा को 2 से 2.5 ग्राम तक सीमित रखने की सलाह दी जाती है। साथ ही, जंक फूड के सेवन से बचने और ताजा पका हुआ भोजन एवं मौसमी फलों को अपने आहार में शामिल करने पर जोर दिया जाता है। जीवनशैली में बदलाव के अंतर्गत, प्रत्येक व्यक्ति को योग, प्राणायाम और सुबह की सैर को अपनी दैनिक दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। तनाव मुक्त जीवन जीने के लिए मेडिटेशन के महत्व को भी समझाया जाता है। डॉ. नाहटा ने जोर देकर कहा कि विपरीत जीवनशैली उच्च रक्तचाप का एक प्रमुख कारण है और सकारात्मक जीवनशैली अपनाकर कई घातक रोगों से बचा जा सकता है, जिनमें ब्रेन हेमरेज और कार्डियक अरेस्ट शामिल हैं, और कई बार बीपी की दवाइयों से भी बचा जा सकता है।
तृतीय स्तर: नियमित निगरानी और चिकित्सकीय परामर्श: इस स्तर पर, जो व्यक्ति पहले से ही उच्च रक्तचाप से ग्रसित हैं, उन्हें नियमित रूप से अपने रक्तचाप की जांच कराने के लिए प्रेरित किया जाता है। विभिन्न आंकड़ों के विश्लेषण से यह ज्ञात हुआ है कि उच्च रक्तचाप होने के बावजूद, केवल 40 से 45 प्रतिशत मरीज ही नियमित रूप से ब्लड प्रेशर की दवा का सेवन करते हैं। इनमें से भी लगभग 50 प्रतिशत मरीजों में ही रक्तचाप निर्धारित मानकों के अनुसार पाया जाता है। इस चरण में, मरीजों को यह चिकित्सकीय सलाह दी जाती है कि वे नियमित रूप से अपने बीपी की निगरानी करें और इसे नियंत्रण में रखें।
जागरूकता ही बचाव है:
जागरूकता अभियान के दौरान, डॉ. दिनेश चौधरी ने स्पष्ट रूप से कहा कि प्रत्येक बीपी के मरीज को नियमित रूप से दवा का सेवन करना चाहिए। उन्होंने लोगों को 'स्व-चिकित्सक' बनकर किसी भी प्रकार का निर्णय न लेने की चेतावनी दी, क्योंकि उच्च रक्तचाप एक साइलेंट किलर की तरह काम करता है, जिसके दुष्प्रभावों का पता नहीं चलता और अंततः अनियंत्रित उच्च रक्तचाप वाले मरीज अकाल मृत्यु का शिकार बन जाते हैं।
सरकारी योजनाओं और निःशुल्क सेवाओं की जानकारी:
हल्दीराम हार्ट हॉस्पिटल के प्रभारी डॉ. देवेन्द्र अग्रवाल ने उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए उपलब्ध व्यापक उपायों की जानकारी दी। उन्होंने राज्य सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं से भी अवगत कराया, जिनके तहत उच्च रक्तचाप से संबंधित विभिन्न जांचें निःशुल्क उपलब्ध हैं। इसके अतिरिक्त, उन्होंने जागरूकता अभियान में उपस्थित लोगों को बीपी की निःशुल्क दवाएं प्राप्त करने की प्रक्रिया के बारे में भी बताया, ताकि कोई भी मरीज जांच और दवा के अभाव में इस गंभीर महामारी का शिकार न हो।
विशेषज्ञों के विचार और आहार संबंधी मार्गदर्शन:
कार्यक्रम के दौरान, डॉ सुनील बुढ़ानिया, डॉ राम गोपाल कुमावत, डॉ राजवीर बेनीवाल और डॉ. रतन लाल रांका जैसे अन्य विशेषज्ञों ने भी अपने महत्वपूर्ण विचार साझा किए। डायटिशियन डॉ मीनाक्षी जाखड़ ने उच्च रक्तचाप के मरीजों के लिए विशेष आहार योजना के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की, जिसमें उन्हें क्या खाना चाहिए और किन चीजों से परहेज करना चाहिए, इस पर विशेष ध्यान दिया गया।
यह जन जागरण कार्यक्रम पीबीएम अस्पताल द्वारा उच्च रक्तचाप के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका उद्देश्य लोगों को जागरूक करके स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना है। यह प्रयास निश्चित रूप से बीकानेर के लोगों को इस 'साइलेंट किलर' से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।