पंजाब सीमा पर चिंताजनक सन्नाटा: BSF जवान की रिहाई पर पाकिस्तान की रहस्यमय चुप्पी


के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा  2025-05-07 19:19:08



 

पंजाब के फिरोजपुर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का एक जवान, पीके साहू, गलती से पाकिस्तानी सीमा में प्रवेश कर गया। यह घटना 23 अप्रैल को हुई, और तब से 12 दिन बीत चुके हैं, यानी पूरे 288 घंटे, लेकिन पाकिस्तानी रेंजर्स ने अभी तक जवान की रिहाई को लेकर कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिया है। इस रहस्यमय चुप्पी ने सीमा पर चिंता और अनिश्चितता का माहौल पैदा कर दिया है।

जवान की सुरक्षित वापसी के लिए BSF के अथक प्रयास

अपने जवान की सकुशल रिहाई सुनिश्चित करने के लिए बीएसएफ लगातार प्रयास कर रही है। अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तैनात बीएसएफ के जवान रोजाना दो से तीन बार सीटी बजाकर या झंडा दिखाकर पाकिस्तानी रेंजर्स को बातचीत का संकेत भेजते हैं। सूत्रों के अनुसार, इस मामले को सुलझाने के लिए कई फ्लैग मीटिंग भी आयोजित की जा चुकी हैं, हालांकि अभी तक उनका कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है। बीएसएफ के अधिकारी हर संभव प्रयास कर रहे हैं ताकि जवान जल्द से जल्द सुरक्षित वापस आ सके।

फ्लैग मीटिंग में निराशा, पाक रेंजर्स का टालमटोल

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बीएसएफ और पाकिस्तानी रेंजर्स के बीच हुई फ्लैग मीटिंग में पाकिस्तानी पक्ष ने यही कहा है कि जैसे ही उनके उच्च नेतृत्व से हरी झंडी मिलेगी, जवान को रिहा कर दिया जाएगा। हालांकि, यह अस्पष्ट प्रतिक्रिया बीएसएफ अधिकारियों के लिए निराशाजनक रही है। सीमा पर तैनात बीएसएफ जवान लगातार सीटी बजाकर और झंडा दिखाकर पाकिस्तानी रेंजर्स का ध्यान आकर्षित करने और उन्हें बातचीत के लिए आगे आने का आग्रह कर रहे हैं। एक ही दिन में कई बार यह प्रक्रिया दोहराई जाती है, लेकिन पाकिस्तानी रेंजर्स की ओर से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि पाकिस्तानी रेंजर्स जानबूझकर फ्लैग मीटिंग को महत्व नहीं दे रहे हैं।

कूटनीतिक रास्तों की तलाश, पूर्व अधिकारियों का अनुभव

बीएसएफ के जवान की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए अब कूटनीतिक चैनलों की मदद लेने की भी बात सामने आ रही है। बीएसएफ के पूर्व अधिकारियों का कहना है कि गलती से एक दूसरे देश की सीमा में चले जाना कोई बड़ा अपराध नहीं है। अतीत में भी दोनों देशों को ऐसी स्थितियों का सामना करना पड़ा है, और कई बार तो कुछ ही घंटों में या एक ही फ्लैग मीटिंग में मामले सुलझा लिए गए हैं। पूर्व आईजी बीएन शर्मा ने बताया कि ऐसे मामले आमतौर पर कमांडेंट स्तर पर ही निपट जाते हैं और कई बार जवान कुछ घंटों में वापस आ जाते हैं, बशर्ते कोई आपराधिक मंशा न हो। हिरासत में लिए गए जवान से पूछताछ की जाती है, और यदि सीओ स्तर पर बात नहीं बनती है, तो डीआईजी और फिर आईजी स्तर पर बातचीत होती है।

पहलगाम हमले का प्रभाव? पाकिस्तान पर दबाव

हालांकि, इस बार पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के प्रति जो सख्त रवैया अपनाया है, उसके चलते बीएसएफ जवान की वापसी में देरी हो रही है। पूर्व अधिकारियों का मानना है कि इस घटनाक्रम का असर जवान की रिहाई पर पड़ सकता है। फिर भी, उनका यह भी कहना है कि पाकिस्तान को देर-सवेर बीएसएफ जवान को वापस करना ही होगा।

पाकिस्तान की जिम्मेदारी, भारत की पैनी नजर

पाकिस्तान ने स्वयं स्वीकार किया है कि बीएसएफ जवान उनकी हिरासत में है। इसके बाद उनकी जिम्मेदारी है कि वे जवान को पूरी तरह से सुरक्षित रखें। अब वे ऐसी कोई चाल नहीं चल सकते हैं जिसमें यह कहा जाए कि जवान ने भागने की कोशिश की और इसलिए उसे नुकसान हुआ। उन्हें हर पल जवान पर नजर रखनी होगी। यदि जवान खुद को कोई नुकसान पहुंचाता है, तो उसकी जिम्मेदारी भी पाकिस्तान की होगी।


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