पानी में उतरे हजारों हाथ! तमिलनाडु के इस त्योहार में मछलियां पकड़ने की अनोखी परंपरा
के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा 2025-05-01 18:33:53

तमिलनाडु के नथम के पास आज पारंपरिक केसरी कनमायिल मछली पकड़ने का अनूठा त्योहार धूमधाम से मनाया गया। इस प्राचीन त्योहार में आसपास के गांवों से हजारों की संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया। प्रतिभागियों ने 'काचा' और 'कोडाई' जैसे पारंपरिक मछली पकड़ने के उपकरणों का उपयोग करके स्थानीय मछलियां, जिनमें कटला और केलुथी प्रमुख थीं, पकड़ीं। यह त्योहार न केवल मछली पकड़ने की एक गतिविधि है, बल्कि स्थानीय संस्कृति और परंपरा का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है।
केसरी कनमायिल: परंपरा और उत्साह का संगम
नथम के निकट आयोजित केसरी कनमायिल मत्स्य उत्सव एक सदियों पुरानी परंपरा है, जो आज भी स्थानीय लोगों के बीच बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है। इस त्योहार में भाग लेने के लिए आसपास के गांवों से हजारों की संख्या में पुरुष, महिलाएं और बच्चे एकत्रित होते हैं। यह अवसर न केवल मछली पकड़ने का है, बल्कि आपस में मिलने-जुलने और सामुदायिक सौहार्द को बढ़ाने का भी है।
पारंपरिक उपकरणों का उपयोग
इस त्योहार की सबसे खास बात यह है कि इसमें मछली पकड़ने के लिए आधुनिक उपकरणों का उपयोग नहीं किया जाता। प्रतिभागी 'काचा' (एक प्रकार का जाल) और 'कोडाई' (बांस से बनी टोकरी) जैसे पारंपरिक उपकरणों का ही इस्तेमाल करते हैं। यह परंपरा न केवल पुरानी विधियों को जीवित रखती है, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल मछली पकड़ने के तरीकों को भी बढ़ावा देती है।
स्थानीय मछलियों की बहार
केसरी कनमायिल त्योहार के दौरान स्थानीय जलाशयों में विभिन्न प्रकार की मछलियां पकड़ी जाती हैं। इस वर्ष प्रतिभागियों ने मुख्य रूप से कटला और केलुथी जैसी स्थानीय प्रजातियों की मछलियां पकड़ीं। मछलियों की अच्छी संख्या में उपस्थिति ने प्रतिभागियों के उत्साह को और बढ़ा दिया।
सामुदायिक एकता का प्रतीक
यह त्योहार सामुदायिक एकता और सहयोग का भी प्रतीक है। गांवों के लोग एक साथ आते हैं, जलाशयों की सफाई करते हैं और मिलकर मछली पकड़ने की प्रक्रिया में भाग लेते हैं। यह आयोजन पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही परंपराओं को जीवंत रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
किसी वीआईपी का बयान नहीं
इस पारंपरिक त्योहार में किसी विशिष्ट राजनीतिक या प्रशासनिक व्यक्ति के शामिल होने या कोई बयान जारी करने की सूचना नहीं है। यह आयोजन पूरी तरह से स्थानीय समुदाय और उनकी परंपराओं पर केंद्रित रहा।