देवभूमि का अनमोल रत्न! उत्तरकाशी में परशुराम का एकमात्र मंदिर, जानें रहस्य और महिमा


के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा  2025-04-30 17:32:51



 

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद में एक ऐसा अनूठा मंदिर स्थित है, जो भगवान विष्णु के छठे अवतार, परशुराम जी को समर्पित है और यह उनका एकमात्र ज्ञात मंदिर है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी स्थान पर बाबा काशी विश्वनाथ के दर्शन के पश्चात परशुराम का प्रचंड क्रोध शांत हुआ था, जिसके बाद भगवान शिव ने इस क्षेत्र को 'सौम्यकाशी' के नाम से भी आशीर्वादित किया।

उत्तरकाशी में परशुराम का अद्वितीय मंदिर

उत्तरकाशी जनपद मुख्यालय में बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर से लगभग 100 मीटर की दूरी पर भगवान परशुराम का यह विशेष मंदिर स्थापित है। यहाँ उनकी आराधना भगवान विष्णु के पाषाण स्वरूप में की जाती है। उल्लेखनीय है कि यह प्रतिमा आठवीं और नवीं शताब्दी की मानी जाती है और इसकी अद्भुत बात यह है कि इस मूर्ति में अयोध्या में विराजमान भगवान राम की मूर्ति से कई आश्चर्यजनक समानताएं दृष्टिगोचर होती हैं।

स्कंद पुराण में परशुराम और उत्तरकाशी का संबंध

मंदिर के पुजारी शैलेंद्र नौटियाल के अनुसार, स्कंद पुराण के केदारखंड में भगवान परशुराम और उनके पूरे परिवार का उत्तरकाशी क्षेत्र के साथ गहरा संबंध वर्णित है। यह प्राचीन ग्रंथ इस क्षेत्र के साथ परशुराम के ऐतिहासिक और आध्यात्मिक जुड़ाव पर प्रकाश डालता है।

रेणुका देवी और जमदिग्नी महाराज के मंदिर

जनपद मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर भगवान परशुराम की माता, रेणुका देवी का पवित्र मंदिर स्थित है। इसके अतिरिक्त, बड़कोट क्षेत्र के थान गांव में उनके पिता, जमदिग्नी महाराज का भी एक प्राचीन मंदिर विराजमान है। यह स्थान परशुराम के पारिवारिक संबंधों और इस क्षेत्र की महत्ता को दर्शाता है।

विमलेश्वर महादेव मंदिर से जुड़ी मान्यता

पुजारी शैलेंद्र नौटियाल यह भी बताते हैं कि स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, वरुणावत पर्वत के शीर्ष पर स्थित विमलेश्वर महादेव मंदिर में आज भी भगवान परशुराम भगवान शिव की आराधना करते हैं। यह मान्यता इस क्षेत्र की आध्यात्मिक ऊर्जा और परशुराम की भक्ति को जीवंत रखती है।

सौम्यकाशी के रूप में उत्तरकाशी की पहचान

पौराणिक कथाओं के अनुसार, बाबा काशी विश्वनाथ के दिव्य आशीर्वाद से ही भगवान परशुराम का क्रोध उत्तरकाशी की इस पवित्र भूमि पर शांत हुआ था। इसी कारण से इस क्षेत्र को 'सौम्यकाशी' के नाम से भी जाना जाता है, जो इसकी शांत और आध्यात्मिक प्रकृति का प्रतीक है।

अस्वीकरण:

यह रिपोर्ट विभिन्न धार्मिक ग्रंथों और मंदिर के पुजारी द्वारा दी गई जानकारी पर आधारित है। मंदिर की प्राचीनता और मूर्तियों से संबंधित विवरण ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यताओं पर आधारित हैं। चैनल द्वारा किसी भी रूप में इस जानकारी की प्रामाणिकता का दावा नहीं किया जा रहा है। प्रस्तुत जानकारी से सभी का सहमत होना आवश्यक नहीं है।


global news ADglobal news AD