अलग पहचान बनाई पुलिस ने बस्तर में शांति की उम्मीद? 24 नक्सलियों ने पुलिस के सामने टेके हथियार


के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा  2025-04-29 16:05:17



 

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में आज एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम देखने को मिला, जहाँ पूर्वी बस्तर और पश्चिमी बस्तर डिवीजनों के वरिष्ठ सदस्यों सहित कुल 24 नक्सलियों ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। इस समूह में एसीएम (Area Committee Members), पीएलजीए (People's Liberation Guerrilla Army) के सदस्य और अन्य नक्सली शामिल हैं, जिन पर कुल मिलाकर 28.5 लाख रुपये का इनाम घोषित था। इस खबर ने क्षेत्र में लंबे समय से जारी नक्सली हिंसा के खात्मे की उम्मीद जगाई है।

वरिष्ठ नक्सलियों का आत्मसमर्पण: संगठन को बड़ा झटका

आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में पूर्वी बस्तर और पश्चिमी बस्तर डिवीजनों के कई वरिष्ठ सदस्य शामिल हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार, इनमें कुछ ऐसे नक्सली भी हैं जो संगठन में महत्वपूर्ण पदों पर थे और कई वर्षों से सक्रिय थे। इन वरिष्ठ सदस्यों के आत्मसमर्पण को नक्सली संगठन के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि इससे उनकी संगठनात्मक क्षमता और निचले स्तर के कैडरों के मनोबल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

इनामी नक्सलियों ने छोड़ा हिंसा का रास्ता

आत्मसमर्पण करने वाले 24 नक्सलियों पर कुल मिलाकर 28.5 लाख रुपये का इनाम घोषित था। इनमें से कुछ नक्सलियों पर तो 5 लाख रुपये तक का इनाम था। पुलिस अधीक्षक (एसपी) जितेंद्र कुमार यादव ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वालों में सुदरू हेमला (33 वर्ष), जो भैरमगढ़ एरिया कमेटी का सदस्य है, और कमली मोडिआम उर्फ उर्मिला (36 वर्ष), जो प्रतापपुर एरिया कमेटी की सदस्य है, प्रत्येक पर 5 लाख रुपये का इनाम था। इसके अतिरिक्त, जयमोती पुनेम (24 वर्ष) पर 3 लाख रुपये और मंगू पुनेम (21 वर्ष) पर 50 हजार रुपये का इनाम था। अन्य इनामी नक्सलियों में शमनाथ कुंजाम (40 वर्ष), चैतू कुरसम (30 वर्ष), बुच्ची मदवी उर्फ रोशनी (25 वर्ष), सुखमती उरसा (28 वर्ष) और सोमली हेमला (45 वर्ष) प्रत्येक पर 2 लाख रुपये का इनाम था, जबकि बुज्जी पदम (20 वर्ष), सुक्को पुनेम (28 वर्ष), हिडमे वेको (22 वर्ष), सोनी कोरसा (30 वर्ष) और लच्छा ताती (25 वर्ष) प्रत्येक पर 1 लाख रुपये का इनाम था।

सरकार की नीतियों से प्रभावित होकर किया सरेंडर

पुलिस अधीक्षक जितेंद्र कुमार यादव ने इस अवसर पर कहा कि इन नक्सलियों ने सरकार की विकास पहलों और माओवादी विचारधारा से मोहभंग होने के बाद आत्मसमर्पण किया है। उन्होंने यह भी बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली राज्य सरकार की 'नियाद नेल्लानार' (आपका अच्छा गांव) योजना से भी काफी प्रभावित थे, जिसका उद्देश्य सुरक्षा शिविरों के आसपास के दूरदराज के गांवों में विकास कार्यों को सुगम बनाना है।

पुलिस का बयान: शांति और विकास की ओर कदम

बीजापुर के पुलिस अधीक्षक जितेंद्र कुमार यादव ने इस महत्वपूर्ण घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "आत्मसमर्पण करने वाले कैडरों का संबंध माओवादियों के पूर्वी बस्तर डिवीजन, प्रतापपुर एरिया कमेटी और पश्चिमी बस्तर डिवीजन के विभिन्न संरचनाओं से है। उन्होंने अमानवीय माओवादी विचारधारा, आदिवासियों पर किए जा रहे अत्याचारों और संगठन के भीतर बढ़ते मतभेदों से निराशा व्यक्त की है।" उन्होंने आगे कहा कि सरकार की विकास योजनाओं से प्रभावित होकर इन नक्सलियों ने हिंसा का रास्ता छोड़ने का फैसला किया है।

पुनर्वास और सहायता: सरकार का वादा

पुलिस अधीक्षक ने यह भी जानकारी दी कि आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सलियों को 50,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई है और सरकार की नीति के अनुसार उनका पुनर्वास किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस आत्मसमर्पण के साथ ही जिले में इस वर्ष अब तक 203 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, जबकि 90 मारे गए हैं और 213 को गिरफ्तार किया गया है। पिछले वर्ष, 2024 में बस्तर क्षेत्र के सात जिलों में कुल 792 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था।


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