आप इस बात का शुक्र मना कर मुस्कुराइये कि आपको वो सब नहीं देखना पड़ेगा जो आने वाली पीढ़ी को भोगना होगा।


के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा  2025-04-29 08:22:24



मुस्कुराइए आप बीकानेर में है !

 सिस्टम तो ऐसे ही चलेगा।  आप इस बात का शुक्र मना कर मुस्कुराइये कि आपको वो सब नहीं देखना पड़ेगा जो आने वाली पीढ़ी को भोगना होगा। लेखक विचारक चिंतक संपादक बीकानेर एक्सप्रेस पूर्व जनसंपर्क अधिकारी की क लम से

——- मनोहर चावला 

आप मुस्कुराइये आप बीकानेर मेँ हैं। लेकिन, मुस्कुराने की वजह भी तो देखिए ! तो जनाब मुस्कुराने की वजह का क्या! मुस्कुराने की वजह तो अनेक हैं। एक गोधे ने पिता- पुत्र और एक युवक को सड़क पर घायल कर दिया। वे लोग अस्पताल में भर्ती है फिर भी खुश है कि चलो जान तो बची। एक कुते ने छ: साल की बच्ची को नोच डाला। अस्पताल में इलाज चल रहा है। भगवान का शुक्र है लड़की बच गई। सड़को पर आवारा पशुओं और आवारा कुतो का विचरण यहाँ आम बात है इसे आप प्रकती आपदा ही मानिए। नगर निगम का तो नाम ही न लीजिए। उसको यह सब कुछ नज़र ही नहीं आता। कि बीकानेर की सड़के बदहाली का शिकार है। आपको स्कूटर पर धक्के लगते है या आप गिर पड़ते हो तो इसे भी ईश्वरीय देन मानिए कि बच गए । नालो की गंदगी सड़को पर बिखरी है खुले नालो के कारण आप कीचड़ में चलते है या गन्दगी से बीमारिया फैलती है तो इसे भी ऊपर वाले की मेहरबानी समझे। आप बचे हुए है। चाइनिज माँझा आपकी गर्दन काट रहा है तो इसे अपनी ख़राब क़िस्मत समझे। लेकिन छोटी छोटी बातो के लिए प्रशासन को दोष न देवे और हमेशा मुस्कराते रहे। आप सिस्टम से स्वयं को अलग करके ये सोच लो कि सिस्टम है ही नहीं, बस आप मुस्कुराइये। आप इसलिये भी मुस्कुरा सकते हैं कि आपका कभी सिस्टम से वास्ता नहीं पड़ा। भगवान न करे, कभी परे। अगर आप को कभी थाना-कचहरी, हॉस्पिटल नहीं जाना पड़ा तब भी आप खुल कर मुस्करा सकते हैं। क्योंकि ये वो स्थान हैं, जो आपकी मुस्कान पर ग्रहण लगा देते हैं। अगर इन स्थानों पर जाने के लिये आपके पास बड़ी अप्रोच है तब आप इन स्थानों पर जा कर भी पहले की भांति मुस्करा सकते हैं। 

आप मुस्कुराइये, क्योंकि अभी गलियों मेँ पार्कों में लड़के-लड़कियों की मिला मिली मर्यादा मेँ हैं। मुस्कुराना इसलिये भी बनता है कि अभी आपकी गली से वो दृश्य दूर हैं, जिसे बंद कमरों मेँ किया जाता है। आपकी गली मेँ आपके मकान के पास कोई होटल, रेस्टोरेन्ट, ढाबा, फास्ट फूड या कोचिंग सेंटर नहीं है, तब भी आप सहजता से मुस्कुरा सकते हैं। क्योंकि इनकी अनुपस्थिति मेँ आपके घर के आस-पास की गली, सड़क पर घंटों रहने वाली पार्किंग अनगिनत कारें नहीं होगी। आपका बेटा-बेटी सीधे कोचिंग सेंटर की क्लास मेँ नियमित बैठते हैं, तब भी आप खुल कर मुस्करा सकते हैं। 

आप मुस्कुराइये, क्योंकि अभी तक ठीक आपके घर के सामने ट्रैफिक वाले की ड्यूटी हेलमेट का चालान करने के लिये नहीं लगी है। आपके आवागमन की सड़क कहीं से नहीं खुदी तब भी आप मुस्कुरा सकते हैं ये सोच कर कि कमाल है इस सड़क पर अभी तक किसी की निगाह नहीं पड़ी। आप और हम इस बात पर मुस्करा सकते हैं कि कमर तोड़ स्पीड ब्रेकर धीरे धीरे स्वयं ही टूट कर रास्ता बना रहे हैं। सड़कें जैसी भी हैं, हैं तो सही, बस यह भी आपके और हमारे मुस्कुराने की वजह है। क्योंकि सड़कें होंगी ही नहीं तब भी हम भला क्या कर लेंगे। और हमारे हाथ में है भी क्या? आपको कोई सड़क पर लूट लेता है या आपके वाहन को कोई चुरा लेता है तब भी आप मुस्कुराइये कि चलो आप स्वयं तो बच गये। आप इसकी सूचना देने थाना नहीं जाते तो मुस्कुराने की वजह आपके साथ पुलिस वालों को भी मिलेगी। आप इसलिये मुस्कुराना कि थाना मेँ जो झेलना पड़ता उससे बच गये। और पुलिस वाले इसलिये मुस्कराएँ कि उन्हें फोकट मेँ काम नहीं करना पड़ा। आप सिस्टम के बारे मेँ जितना सोचना कम करेंगे, उतना ही अधिक मुस्कुरायेंगे। सिस्टम पर मुस्कराइये। सड़कों पर भोंकने वाले कुत्तों पर मुस्कराइये।आवारा पशुओं के खुलेआम विचरण से आप दूर है जिन समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा, उन्हें अपना समझ कर मुस्कराइये। 

आप इस बात का शुक्र मना कर मुस्कुराइये कि आपको वो सब नहीं देखना पड़ेगा जो आने वाली पीढ़ी को भोगना होगा। सिस्टम मेँ आपकी थोड़ी सी भी घुसपैठ है तब भी आप मुस्कुरा सकते हैं। धर्म की आड़ मेँ हो रहे पाखंड को देख कर मुस्कुराइये। ख़ाकसार का तो ये भी मानना है कि इस सिस्टम मेँ भी आप सकुशल और इज्जत से जी रहें हैं तो फिर मुस्कुराते ही रहिये। जनाब! कमियाँ तो सभी शहरों मेँ है। इसलिये कमियों को नजर अंदाज करके मुस्कुराइये। बीकानेर कोई निराला तो है नहीं ! लेकिन रसगुल्ले खाइए, कचौड़ी खाइए और मुस्कराइए! आते जाते वो सड़क और गली खोजिये जो चलने लायक हो। ऐसी सड़क मिल जाये तो अपनी खोज पर मुस्कराइये। अगर आपके घर के आगे कार पार्किंग नहीं होती है। तो भी आप मुस्कुराइए। आप अपने आस पास ऐसी वजह की तलाश करो जो आपको मुस्कराने के लिये प्रेरित करे। अगर फिर भी कुछ दिखाई ना दे, महसूस ना हो तो फिर आप अपनी उस नादानी पर मुस्कुराइये, जिस नादानी ने सिस्टम से बड़ी बड़ी उम्मीद बांध रखी है। और हाँ, आपको शिकायत करने का अधिकार नहीं है। क्योंकि अधिकारी की पोस्टिंग आपके हाथ मेँ है नहीं। जनप्रतिनिधि हमने स्वयं चुने हैं तो फिर शिकायत करने का अधिकार रहा ही कहाँ ? इसलिये आप केवल मुस्कुराइये। क्योंकि इसके अतिरिक्त आपके पास कोई विकल्प नहीं। इसलिये वजह हो ना हो, मुस्कुराइये। सिस्टम है यह तो ऐसे ही चलेगा।

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