पुलिस को सब पता होता है लेकिन उनको भी प्यास लगती है। इसलिए कानून उनकी जेब में रहता है


के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा  2025-04-21 17:29:38



युवा पीढ़ी को नशे से बचाइये !

——- मनोहर चावला 

 

बीकानेर पुलिस ने फलोदी से आई बस में एक नाबालिग के पास बेग से सवा करोड़ की स्मैक बरामद की है। पाँच हज़ार रुपये की लालच में यह लड़का मादक पदार्थों की तस्करी में कूद पड़ा था और पकड़ा गया। वैसे बीकानेर में गली नुक्कड़- स्कूल, कालेज- होटल, ढाबो में नशे का सौदा हो रहा है। पंजाब, बाड़मेर, और फलोदी, जैसलमेर से लेकर पाकिस्तानी बॉर्डर से ड्रोन द्वारा बीकानेर के अंदरूनी भागो तक नशे का जाल फैला है इनका यह नेटवर्क पूरी तरह से यहाँ के लोगो की जिंदगी बर्बाद कर रहा है। वैसे बीकानेर के अधिकांश लोग भांग या गुटका लेकर मस्त रहते थे लेकिन अब नशा- मसलन शराब, गांजा, डोडा, अफीम, चरस, हीरोइन, नशीली गोलिया, नशीले सिगरेट, लोगो को अपनी गिरफ़्त में ले रहे है। विशेषकर युवा वर्ग को! शाम होते ही इनकी तलब शुरू हो जाती है पार्क में या किसी सुनसान जगह पर सिगरेट के लच्छे उड़ाते युवाओ को देखा जा सकता है। फिर इधर बीकानेर में जगह- जगह शराब की दुकाने भी खुल गई है। अब तो होटल मालिको ने लालच में अपने हॉटलो में बार खोल दी है। शहर के शरीफ़ज़ादे शाम होते ही जयपुर रोड पर बने होटलो , ढाबो,इंडस्ट्रियल ऐरिया में बने हॉटलो और बीछवाल रोड पर बनी होटलो में पेग चढ़ाने पहुँच जाते है कई सरकारी अफ़सर, डॉक्टर्स , उद्योगपति इन हॉटलो की शान होते है। वैसे शराब की दुकाने और बार रिहायशी कालोनियो में भी खुल गए है। हाउसिंगबोर्ड कालोनी - नागानीजी रोड पर खुले आम शराब परोसी जाती है। महिलाओं का घर से निकलना भी दुर्भर हो गया है। वैसे तो कई कलबो में - होटलो में शराब परोसने के लाइसेंस है जैसे सादुल क्लब! लेकिन बहुत से होटल- ढाबो में चोरी छिपे शराब सप्लाई होती है। वैसे शराब की दुकान खोलने- बंद करने के भी अपने नियम बने हुए है। त्योहारों पर, गांधी जयन्ती, महावीर जयन्ती पर शराब की दुकाने बंद रखनी होती है लेकिन यह लोग पिछले दरवाज़े से मनमानी दर पर शराब की सप्लाई करते है पुलिस को सब पता होता है लेकिन उनको भी प्यास लगती है। इसलिए कानून उनकी जेब में रहता है। आपने कई दफ़ा अखबारों में पढ़ा होगा। आज पुलिस ने पंजाब से गुजरात जाते हुए एक ट्रक में सब्ज़ी के टोकड़ो में लाखो की शराब पकड़ी। लेकिन उस शराब का क्या हुआ ?बोतले गोदाम में टूट गई या चूहे पी गए या फिर पुलिस वाले गटक गए। कुछ पता नहीं चलता? और यह सिलसिला बराबर इस प्रकार चलता रहता है कोई जिम्मदारी नहीं, कोई जवाबदेही नहीं! कुल मिलाकर बीकानेर के लोग खासकर युवा वर्ग नशे के आगोश में घिरा हुआ है। चरस, हुक्काबार, अफीम , हीरोइन और नशीली गोलियों आदि का बीकानेर अड्डा बन रहा है। मेडिकल कालेज रोड के सामने चाय के ठेलो , पान की दुकाने, डेयरी बूथों पर सिगरेट, गुटका, डोड़ेवाली चाय, किमाम लगा पान आसानी से युवा डाक्टरो को उपलब्ध होता है। इनके छात्रावासों में इस रोग के फैलने का खतरा बराबर बना हुआ है। नशे और अन्य मादक पदार्थों के सरगनों को पुलिस को पकड़ना होगा। नारकोटिस विभाग की मिलीभगत को सामने लाना होगा। अगर समय रहते इस पर प्रशासन ने कोई सख्त कदम नहीं उठाया तो वो दिन दूर नहीं जब युवा वर्ग अपना भविष्य पूरी तरह चौपट कर चुका होगा !और बीकानेर पूर्ण नशे के आगोश में डूब चुका होगा! वैसे तो समाचार पत्रों में आ रही ख़बरों को देखकर लगता है कि राजस्थान नशा तस्करी करने वालो के लिए एक नया केन्द्र बन चुका है नशा तस्करो ने दूसरे राज्यो में नशा बेचने के लिए राजस्थान को एक तस्करी कारिडोर की तरह बना लिया है। और यहाँ के युवाओं को भी इससे बर्बादी की चपेट में ले रहे है। सरकार को नशे के विरुद्ध अभियान चलाकर करवाई करनी चाहिए जिससे युवा पीढ़ी को बचाया जा सके।


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